अंधकार के मस्तक पर

अंधकार के मस्तक पर
आओ चंदा सा तिलक लगाए
मुरझाए हुए पोधो को
आओ जरा सींच कर आएं!!

निराशा के बादल छाए है
चहुँ और काली घटाए है
उतरे हुए चेहरों को आज
आओ थोड़ी ख़ुशी दे आएं !!

बेढंगी बेतरतीब जिंदगी
जाने क्यों ये ढ़ो रहे है
प्रकृति के सुन्दर रंगो से
आओ इन का मिलन कराएं !!

सूरज से प्रकाश चुरा कर
करे रोशनी करे उजियारा
जीवन के सुन्दर उपवन को
आओ मिल कर खूब सजाएं !!!

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