धूम रहा है यूँ ही फक्कड़ बन के
मत कर अपनी हस्ती वीरान तू
सारी उम्र गवां दी बस नादानी में
बैठ अब अपनी कीमत जान तू
गलती से आया मुर्गियों के झुंड में
अब अपनी ताकत को पहचान तू
बाज है बाज की तरह उड़ान भर
बेशक था इस बात से अनजान तू
याद कर शक्ति जिसे भुला बैठा है
अब अपनी आस्तीन को तान तू
क्या तुझे भी एक जामवंत चाहिए
हनुमान की मानिंद खुद को मान तू