अब जान हमारी जाएगी

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आज बारिश की दबिश
कुछ बयाँ कर जाएगी
प्यास धरती की बुझेगी
आसमाँ को रुलाएगी

बहुत सोचा करते थे
कैसा होगा वो अहसास
जब आग दोनो तरफ़
एक सी लग जाएगी

सारी उम्र तड़प कर भी
दिल को चैन मिला नही
तुमही बताओ कैसे अब
इस दिल को चैन आएगी

हमे ग़म को छिपाने की
बहुत पुरानी आदत है
बता कर भी क्या मिलेगा
रुसवाई हिस्से आएगी

फैंक कर खंज़र हम पर
वो तो रुख़सत हो गए
उनका क्या पता था कि
मोहब्बत हो ही जाएगी

हम ने भी ठाना है अब
फ़नाह हो कर दिखाएंगे
उन की हर अदा पे दिल
अब जान हमारी जाएगी

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