murudeshwar, arabian sea, karnataka-172586.jpg

अर्जुन भी कृष्ण भी

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

भागने वाली वृति अर्जुन है

डटने वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

डर वाली वृति अर्जुन है

साहस वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

भोग वाली वृति अर्जुन है

योग वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

संदेह वाली वृति अर्जुन है

यकीन वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

निराशा वाली वृति अर्जुन है

आशा वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

अंधकार वाली वृति अर्जुन है

प्रकाश वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

झूठ वाली वृति अर्जुन है

सच वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

हिंसा वाली वृति अर्जुन है

अहिंसा वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

क्रोध वाली वृति अर्जुन है

शांति वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

अहंकार वाली वृति अर्जुन है

विनम्रता वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

लोभ वाली वृति अर्जुन है

संतोष वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

मोह वाली वृति अर्जुन है

अनासक्त वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

घृणा वाली वृति अर्जुन है

प्रेम वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

याचक वाली वृति अर्जुन है

दाता वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

संक्षेप वाली वृति अर्जुन है

विस्तार वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

बंधन वाली वृति अर्जुन है

मोक्ष वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

भक्षक वाली वृति अर्जुन है

रक्षक वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

शोक वाली वृति अर्जुन है

आंनद वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

दुर्जन वाली वृति अर्जुन है

सज्जन वाली वृति कृष्ण ही

 

हरेक मे एक अर्जुन छिपा

और छिपा एक कृष्ण भी

अवसाद वाली वृति अर्जुन है

उत्साह वाली वृति कृष्ण ही

 

अर्जुन वृति को कम करें

आओ बढ़ाए कृष्ण वृति

सब समझे गर जिम्मेदारी

स्वर्ग होगी अपनी धरती

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *