हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
भागने वाली वृति अर्जुन है
डटने वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
डर वाली वृति अर्जुन है
साहस वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
भोग वाली वृति अर्जुन है
योग वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
संदेह वाली वृति अर्जुन है
यकीन वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
निराशा वाली वृति अर्जुन है
आशा वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
अंधकार वाली वृति अर्जुन है
प्रकाश वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
झूठ वाली वृति अर्जुन है
सच वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
हिंसा वाली वृति अर्जुन है
अहिंसा वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
क्रोध वाली वृति अर्जुन है
शांति वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
अहंकार वाली वृति अर्जुन है
विनम्रता वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
लोभ वाली वृति अर्जुन है
संतोष वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
मोह वाली वृति अर्जुन है
अनासक्त वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
घृणा वाली वृति अर्जुन है
प्रेम वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
याचक वाली वृति अर्जुन है
दाता वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
संक्षेप वाली वृति अर्जुन है
विस्तार वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
बंधन वाली वृति अर्जुन है
मोक्ष वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
भक्षक वाली वृति अर्जुन है
रक्षक वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
शोक वाली वृति अर्जुन है
आंनद वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
दुर्जन वाली वृति अर्जुन है
सज्जन वाली वृति कृष्ण ही
हरेक मे एक अर्जुन छिपा
और छिपा एक कृष्ण भी
अवसाद वाली वृति अर्जुन है
उत्साह वाली वृति कृष्ण ही
अर्जुन वृति को कम करें
आओ बढ़ाए कृष्ण वृति
सब समझे गर जिम्मेदारी
स्वर्ग होगी अपनी धरती