अस्तित्व

अगर अब भी खामोश रहे
तो तुम्हारा अस्तित्व मिट जाएगा
जीवन की राह बड़ी लम्बी है
क्या यूँ ही सफ़र कट जाएगा

साथी की जरूरत तुम्हे
कभी न कभी तो पड़ेगी
मुसीबत की घडी तुम्हारे
सामने भी अड़ेगी

अकेला चलना शुरू में तो
बहुत आसान लगा होगा
आगे की राहों में मगर
फूल नहीं बस कांटा होगा

अकेलेपन की लपटों में
जीवन ख़ाक बन जाएगा
रो रही होगी सिर्फ तुम
सारा जहाँ मुस्काएगा

इम्तिहानो का सफ़र अभी
खत्म नहीं हो गया है
तुम्हारी दास्ताँ सुनने पर
मेरा दिल भी रो रहा है

आवाज़ उठानी होगी तुमको
अपने अधिकार को पाने की
तोड़ फैंको जंजीरों से बंधे
खोखले रीति -रिवाजों को

विधवा हो गयी हो
उसमे तुम्हारा दोष नहीं
बिना अब परिणय के
रह सकता अस्तित्व ठोस नहीं

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