बाहर अहंकार भीतर आत्मा
अहंकार से है ढका परमात्मा
अहंकार है ज्यूँ सागर में लहर
आत्मा है ज्यूँ सागर हो स्थिर
अहंकार दर्पण की धूल मानिद
आत्मा जैसे हो दर्पण ख़ालिस
इक्कट्ठे दोनों का अस्तित्व नही
अहंकार पास में तो आत्मा नही
जिस दिन होगा अहंकार खत्म
उस दिन आत्मा के होंगे दर्शन
डॉ मुकेश अग्रवाल
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