नई अप्रोच के साथ लिखी
“आउटलायर्स” है बेमिसाल
सफलता के प्रचलित कारको
पर लेखक उठाता है सवाल
स्वनिर्माण एक मिथक है
नही कोई इस का आधार
सफलता में बहुत से कारक
मिलकर होते है जिम्मेदार
अवसर और विरासत का
भी होता अहम योगदान
मात्र योग्यता से नही बनता
कोई भी एक सफल इंसान
कब और कहां पैदा हुए
ये कारक भी आते काम
एक बुद्धि सीमा के बाद
व्यवहारिकता का ही दाम
दस हज़ार घंटे है जरूरी
गर होना चाहते हो विशाल
बिल गेट्स और बीटल्स
पेश करते है एक मिसाल
मेलकॉम ग्लैडवेल की बुक
तोड़ती है पुरानी जंजीर
सफलता का नया नजरिया
पेश करती एक नई तस्वीर
डॉ मुकेश अग्रवाल