गीत देश प्रेम के आओ मिल कर गाएँ
चलो आज फिर आज़ादी पर्व मनाएँ ।
कितने शहीद बलिदान हुए आज़ादी पर
उनकी मय्यत पर चलो आज फ़ूल चढ़ाएँ ।
अपना वतन सिरमौर बने सारी दुनिया देखे
आओ मिल कर फिर से ज्योत एक जगाएँ ।
देशप्रेम हो सर्वोपरि ना कोई जात ना धर्म
सब से रखे प्रेम का नाता मानवता उपजाएँ ।
सब से प्राचीन संस्कृति है भारत अपना देश
स्वर्ग से सुंदर इस धरा को दुल्हन सा सजाएँ ।
गीत देश प्रेम के आओ मिल कर गाएँ
चलो आज फिर आज़ादी पर्व मनाएँ ।।