आरक्षण की आग मै Leave a Comment / Poem / By Dr. Mukesh Aggarwal मरुभूमि में जैसेझील के स्रोत्र साठिठुरती ठण्ड मेंपावन अग्निहोत्र सातन न्योछावर करने वालेदधीचि महाप्राण साविषपान करने वालेत्रिनेत्रधारी भगवान सानिराश आँखो के लिएजीवंत एक विश्वास साअनजान राहों में हमेशाबाप एक अहसास सा