आरक्षण की आग मै

आरक्षण की आग मै

मरुभूमि में जैसे
झील के स्रोत्र सा
ठिठुरती ठण्ड में
पावन अग्निहोत्र सा

तन न्योछावर करने वाले
दधीचि महाप्राण सा
विषपान करने वाले
त्रिनेत्रधारी भगवान सा

निराश आँखो के लिए
जीवंत एक विश्वास सा
अनजान राहों में हमेशा
बाप एक अहसास सा

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