हुस्न वालो ज़रा इधर भी देखो,
हम आस लगाये बैठे है……,
तेरे इशारो पे ये नज़र,
हम ख़ास लगाये बैठे है…..,
पतलून ऐ कमीज़ तुने जो,
डाली अज बदन पर है……,
तस्वीर इसी की आज हम,
आँखों में बसाये बैठे है……,
तेर अदाओं का पिटारा,
कभी तो खुलेगा…..,
बस उसी की इंतज़ार में,
बनवास लगाये बैठे है……,
हुस्न वालो….
हम पर भी कुछ दया कर लो,
कब से भूखे मर रहे है,
जब तक इकरार नहीं करोगी,
उपवास लगाये बैठे है……….!!!