इंग्लिश नही आधार ज्ञान का
यह केवल एक साधन है
अन्य भाषाओं जैसे ये भी
सवांद का एक माध्यम है
इंग्लिश में बात करके कोई
अपने को श्रेष्ठ क्यों माने
क्यों इसे ना बोल पाने पर
मनुष्य अपने को हीन जाने
क्यों भारत के लोग हमेशा
इंग्लिश के प्रभाव में रहते है
इस भाषा के जानने वालों को
किस कारण विशेष कहते है
रूस चीन जापान जर्मनी में
अपनी भाषा बोली जाती है
अन्य भाषा लोकाचार में
उन्हें बिल्कुल नही सुहाती है
अपने भावों को मातृभाषा में
आप अच्छे से व्यक्त करें
दूसरी भाषा मे आप केवल
खुद को ही अभिशप्त करें
इंग्लिश सीखने से मेरा नही
किसी किस्म का विरोध कोई
मेरा कहना केवल इतना ही
क्यों मातृभाषा से संकोच कोई
भाषा को भाषा की तरह लो
ये व्यक्तित्व पर हावी ना हो
अस्तित्व आपका इससे नही
भाषा आपके अस्तित्व से हो
होंठों पर मुस्कान रखिये
जीवन मिले या मरण मिले
सख़्त अपने निशान रखिये
एक सा हो दोनों का असर
बरकरार अपनी शान रखिये
गुमसुम से तुम चले गए तो
फिर जिंदगी हँसी उड़ाएगी
मौत आने पर भी मुसाफिर
होंठों पर मुस्कान रखिये
सुख दुःख आते जाते रहते
कभी कम कभी ज्यादा
परवाह करना छोड़ इनकी
कर्मो पर बस ध्यान रखिये
नींद उड़ेगी दर्द भी होगा
जब जीवन तुम्हे रुलाएगा
सहनशक्ति बढ़ाओ अपनी
और थोड़ा इत्मीनान रखिये
अंदाजे बयां तेरा बताएगा
तूं कितना ज्यादा है घायल
अंत समय मे भी अपनी
एक खास पहचान रखिये