उपहास विरोध स्वीकार

हर महान काम की

होती है तीन अवस्थाएँ

उपहास विरोध को पार करे

तभी ये स्वीकार तक जाए

 

व्यक्ति ख़ुद कुछ ना करे

ना दूसरे कुछ करने पाए

ना दे किसी को आगे बढ़ने

उपहास करे मनोबल गिराए

 

ईर्ष्यालु मन करता प्रतिकार

दूसरे के यश से जल जाए

बस नही चलता जब

विरोध को हथियार बनाए

 

आत्मबल मजबूत अगर है

उपहास विरोध ना काम आए

अंत मे पड़ेगा स्वीकारना

बादल सूरज कब रोक पाए

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