This poem of mine is dedicated to the social & economic justice which can be attained only by co-operation of every one.
सपनो को साकार लिए
सुंदर एक संसार लिए
मिल-जुल जाने की तमन्ना के
रंग बिरंगे हार लिए
हाथो में पतवार लिए
प्रेम का हथियार लिए
मंगल गायन करना होगा
कदम मिला कर चलना होगा …..
सृजन का उपहार लिए
रत्नों का व्यापार लिए
कागज कलम दवात लिए
जन समर्थन आधार लिए
दल दल से ऊपर उठना होगा
कदम मिला कर चलना होगा …..