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जन्म होगा आज श्याम का
कृष्णा धरती पर आएगा
गूँजेगी शहनाई अम्बर में
और सारा जहाँ मुस्कायेगा
हर और उजियारा होगा
घर घर दीपक जल जाएगा
इस नज़ारे को देख कर
देवलोक फूल बरसाएगा ।
मस्ती होगी चारों और हर
मंदिर मंदिर सज जाएगा
लीलाधर की झाँकियो से
शहर शहर खिल जाएगा
वृंदावन का एक ग्वाला
भिन्न भिन्न रूपों में आयेगा
इस मंज़र को देख साथियों
हर जन जन मुस्काएगा ।
पूर्णावतार सोलह कलायें
लेकर माधव फिर आएगा
संग दाऊ और ग़्वालो के
तब ब्रज में धूम मचाएगा
मटकी फोड़ेगा ग्वालिनो की
और माख़न भी चुराएगा
कपड़े उठा के फिर उनके
वृक्षों में छुप छुप जाएगा ।
सुदामा जैसी यारी करना
हमसब को ये बतलाएगा
छोड़ दुर्योधन के पकवान
विदुर घर भोग लगाएगा
कुरुभूमि में फिर केशव
गीता का ज्ञान सिखाएगा
हम जैसे सब अर्जुनो को
जीवन का पाठ पढ़ाएगा ।
मोरमुकुट लिए बंसी हाथ में
ख़ुद ही दर्श दिखाएगा
मनमोहन नटखट कृष्णा
राधा संग रास रचाएगा
जो ना देखेगा उत्सव को
फिर पीछे पछताएगा
तुमभी आओ देखो रोनक
समय निकल ही जाएगा ।।