दिल क्यू
नहीं लगता
कुछ समझ नहीं सकता
कोशिश तो बहुत करता हूँ पढने की
कोशिश तो बहुत करता हूँ समझने की
पर कारण क्या है समझ नहीं आता
समझने पर भी कुछ समझ नहीं पाता
ये बेकरारी क्यू है
ये उदासी क्यू है
ये निराशा के बादल क्यू छाये है
मुझे मनाने लोग क्यू आये है
उनका क्या स्वार्थ है
क्या यहीं यथार्थ है
मै समझ नहीं पाता
कुछ समझ नहीं आता
दिया जलता रहता है
रात जाती रहती है
नींद नहीं आती है
कुछ चीज़ नहीं भाती है
ये क्या है ये क्यू है
बहार अच्छी नहीं लगती
चांदनी सच्ची नहीं लगती
बीते हुए दिन याद आते नहीं
मनं अजीब सी खामोशी में घिर जाता है
कुछ भी करने में खुद को असहाय पाता हूं
ऐसा लगता है जैसे
मेरा अस्तित्व खतरे में है
ऐसा क्यू लगता है
कुछ तो है जो मुझे
अपनी तरफ खीच रहा है
वो कुछ निर्जीव है या सजीव है
जो मुझे खीच रहा है
वो कौन है
वो क्या है
क्यों मुझे आकर्षित करता है
क्यू मृगतृष्णा रचता है
मै तो पहले से ही इस संसार की
भयंकर त्रासदी का शिकार हूँ
क्या उसे मेरी मजबूरी का नहीं पता
क्या वो मेरे दुःख से संतुष्ट नहीं
जो उसने एक नई व्यवस्था खड़ी कर दी
मुझे खीच रहा है
पता नहीं किस गति में
पता नहीं कहाँ
पता नहीं क्यों
समझ नहीं पाता हूँ
समझ के दाएरे में जाकर
फिर वही लौट आता हूँ
जहा से चला था
जो रास्ता चुना था
वही चौराहा है
वही परेशानी है
नहीं जंजाल है वह
पर फिर भी कुछ नया है
मन बंध गया है
वो आज़ाद पवन नहीं रही
पहले पवन दिशाहीन मस्त थी
अब उसने दिशा बना ली है
कोई उसे खींच रहा है
वो भी खिंची चली जा रही है
खिंची चली जा रही है एक राह पर
एक अनजान राह पर
पता नहीं कहाँ जाएगी
पता नहीं किससे टकराएगी
कोशिश बहुत की,पर समझ नहीं पाया
हर जगह हर कदम,खुद को घिरा पाया
उसकी मंजिल कहा है
ये भी पता नहीं
कुछ भी पता नहीं
क्या ये सकारात्मक है
क्या ये नकारात्मक है
यह भी पता नहीं
अब इस उलझन से
अब इस परेशानी से हटना चाहता हूँ
इस दायरे से निकलना चाहता हूँ
अज तक वही का वही हूँ
जगह से हिला नहीं हूँ
मै आजादी चाहता हूँ
मुझ पर रहम करो
मुझे छोड़ दो
मै ये बंधन बर्दाश्त नहीं कर सकता
मर सकता हूँ ! पर जकड नहीं सकता
मुझे छोड़ नहीं सकते तो
अपना परिचय दे दो
कौन हो तुम
तुम क्या हो
मुझे क्यों बाँध रखा है
मुझे कहा ले जाना चाहते हो
कम से कम मुझे पता तो लगे
मै कहाँ जा रहा हूँ
मुझे पता तो लगे
मेरी मंजिल कहाँ है
मै संतुष्ट तो हो जाऊ
कुछ जवाब तो दे पाऊ
कृपा करो मुझ पर कृपा करो
मै उस भोझ पर कृपा करो
मै इस भोझ से दब जाऊंगा
फिर तुम किसे बाँधोगे बाहूपाश में
फिर किसे मृगतृष्णा में धकेलेंगे
अच्छा यही है , बता दो मुझे बता दो
कौन हो तुम , कौन हो तुम