कोरोना की जंग में यारो,
नायक भी खलनायक भी,
नायकों की चर्चा कर चुके,
अब बारी खलनायकों की|
सब से पहला खलनायक,
आप सब को है पता,
चीन की नासमझी से ही,
था कोरोना वैश्विक हुआ |
यदि समय पर दुनिया को,
चीन इस खतरे से चेताता
मुमकिन था वायरस का,
कोई इलाज निकल आता|
चीन की मूर्खता देखो,
सारा संसार आज भुगत रहा ,
जिस से टक्कर संभव नही,
अदृश्य शत्रु से लड़ रहा|
दूसरे खलनायक वो यात्री है,
जो विदेशो से आये है,
अपने साथ उपहार में,
कोरोना वायरस को लाये है|
शिक्षित और सम्पन्न कहते है,
पर खुद को छुपाते रहे,
गैर जिम्मेदाराना आचरण से,
कोरोना को फैलाते रहे|
तीसरी खलनायक वो जमात,
जो तबलीगी कहलाती,
सब से बड़ी लापरवाही आज,
इसी के हिस्से में आती|
हजारो जमाती इकट्ठे हुए,
विदेशियों की बड़ी तादाद,
निजामुद्दीन मस्जिद में जुटी,
मौलानाओ की ये जमात|
मुखिया की नसीहतों ने,
सोने पे सुहागे का काम किया,
डॉक्टर्स की ना मान ,
मस्जिद में रहने का फरमान दिया|
मस्जिद से निकल कर ये जमाती,
पूरे भारत मे फैल गए,
तीसरा हिस्सा मरीज कोरोना के,
आज इनके कारण हुए|
सामुदायिक संक्रमण की हालत,
में देश इन्होंने पहुँचाया,
सबसे बड़े खलनायक का आज,
खिताब इन्होंने है पाया|
अगर चाहते तो अच्छा संदेश,
ये दुनिया को दे सकते थे,
स्थगित कर मरकज़ को,
आगे मिसाल पेश कर सकते थे|