दूर ही रहना पास ना आना
रूठूँ गर तो मुझे ना मनाना
कोरोना का है बेदर्द जमाना
भला अब फोन पे बतियाना
ऐसा ना था मेरा आशियाना
हर वक्त था हंसना हँसाना
हरदम हमेशा ही रहता था
लोगो का यहाँ आना जाना
दोस्तो संग महफ़िल जमाए
हुआ जमाना खिलखिलाए
उम्मीद कोई आती ना नज़र
छूटा हर कहीं पे आना जाना
हे ईश्वर जख्म जल्दी भर दो
जीवन मे फिर मस्ती कर दो
तुझ पर ही है भरोसा कायम
बाकी तो सब निष्ठुर जमाना
कसम यही खाते है हम अब
कोई दुख ना प्रकति को देंगे
अपना किया ही भुक्त रहे है
नियति का सब खेल दीवाना
दूर ही रहना पास ना आना
रूठूँ गर तो मुझे ना मनाना
कोरोना का है बेदर्द जमाना
भला अब फोन पे बतियाना