क्या_रूह_कांपती_है

क्या रूह कांपती है

जब देखते हो बच्चो को

फैक्ट्रियों में काम करते

ढाबो पर बर्तन मांजते

स्टेशन पर जूते पॉलिश करते

क्या रूह कांपती है

जब देखते हो गरीबो को

कूड़े से खाना निकालते

नंगे बदन जीवन बिताते

सड़क पर ठंडी रात गुजारते

क्या रूह कांपती है

जब देखते ही भाइयो को

धर्म के नाम पर मिटते

नस्ल के नाम पर लड़ते

जात के नाम पर झगड़ते

क्या रूह कांपती है

जब विज्ञान के युग मे

मानव चाँद पर पहुँच गया है

और अन्य ग्रहो को रौंदने को है

इन सारी बातों को देख

यदि नही कांपती है

तो हम किसी भी कीमत पर

इंसान कहलाने के हक़दार नही

हमारा इस दुनिया मे आना

सर्वथा बेकार ही है

और यदि कांपती है

तो उठो जिस ईश्वर ने बनाया

उसी को साक्षी मान कर

आज सारे भेद भाव खत्म

करने के लिये कमर कस लो

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *