सब अच्छे है यहाँ बस मुझे छोड़ कर
तभी तो जा रहे सब मुँह को मोड़ कर
पतझड़ में दरख्तों पर पत्ते ठहरते नही
रूह निकल जाती है ज्यूँ देह छोड़ कर
गर गुनाह किए है सजा मिलेगी जरूर
कर्म का विधान ना जा सकोगे तोड़ कर
भूख लगी है तो साफ़ साफ कह दो ना
माखन ना चुराओ मेरी मटकी फोड़ कर
साथ नही गंवारा तो कुट्टी हम से कर लो
यूं नही सताओ मुझे मेरी बैयां मरोड़ कर
तुम कितने भी सितम करो नही मानेगे
हम भी दम लेंगे तुम से नाता जोड़ कर