man, loneliness, sea-2915187.jpg

चलता ही चल

धुन्ध भी छट जाएगी धुंआ भी उड़ जाएगा

राही तू चलता ही चल रास्ता मिल जाएगा

 

रोके कोई तेरे कदम ये किसी मे दम नही

हौंसला बुलंद हो गर सागर भी हट जाएगा

 

नींद छोड़ कर उठ और पहला कदम बढ़ा

मंजिल पास आएगी जब बढ़ता ही जाएगा

 

रोकेंगे दुनिया वाले तुझ को हर कदम पर

जमाना तो ऐसा ही है ये रोड़ा अटकायेगा

 

कितनी भी मुसीबत आये तू मगर डटा रह

तेरी हिम्मत के आगे पहाड़ सर झुकाएगा

 

समय लगता है मुकेश ताजमहल के बनने में

मुझे उम्मीद है एक दिन तू इतिहास बनाएगा

 

 

डॉ मुकेश अग्रवाल

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *