धुन्ध भी छट जाएगी धुंआ भी उड़ जाएगा
राही तू चलता ही चल रास्ता मिल जाएगा
रोके कोई तेरे कदम ये किसी मे दम नही
हौंसला बुलंद हो गर सागर भी हट जाएगा
नींद छोड़ कर उठ और पहला कदम बढ़ा
मंजिल पास आएगी जब बढ़ता ही जाएगा
रोकेंगे दुनिया वाले तुझ को हर कदम पर
जमाना तो ऐसा ही है ये रोड़ा अटकायेगा
कितनी भी मुसीबत आये तू मगर डटा रह
तेरी हिम्मत के आगे पहाड़ सर झुकाएगा
समय लगता है मुकेश ताजमहल के बनने में
मुझे उम्मीद है एक दिन तू इतिहास बनाएगा
डॉ मुकेश अग्रवाल