गाते बजाते मुस्कुराते
सबको संग में नचाते
रास्तों की धूल उड़ाते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।
शरीर को स्वस्थ बनाते
कभी सैर कभी जिम जाते
कभी ध्यान की धूनी रमाते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।
विचारों पर नज़र दोड़ाते
इच्छाओं को साथ घुमाते
कल्पनाओं की पतंग उड़ाते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।
सब से घुल मिल जाते
प्रेम का रिश्ता बनाते
सुख दुःख में आते जाते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।
बुद्धि को सहग़ामी बनाते
कुछ नया रचते रचाते
ज्ञान पर अपने इठलाते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।
धरती को हरा भरा बनाते
चहूं और ख़ुशहाली बरसाते
स्वच्छता का परचम लहराते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।
जीवन का अर्थ समझाते
क्यों आये है ये बतलाते
तत्वमसि का पाठ पढ़ाते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।
गाते बजाते मुस्कुराते
सबको संग में नचाते
रास्तों की धूल उड़ाते
ज़िन्दगी ! आ रहा हूँ मैं ।।