अब तो बाज आ जाओ
ये ढ़ोल कब तक बजाओगे
जात पात के चंगुल से तुम
कब तक बाहर आओगे
अब तो ऊपर उठ जाओ
सोचने का दायरा बड़ा करो
कब तक इन दकियानूसी
रूढ़ियों का बोझ उठाओगे
आज जब पूरी दुनिया ही
कोरोना महामारी ने जकड़ी
इस आपदा की घड़ी में भी
तुम अपनी बीन बजाओगे
इस जातिवाद ने बांटा हमे
सदियों भारत गुलाम रहा
इस जहर से आखिर कब
तुम अपना पिंड छुड़ाओगे
ना कोई स्वर्ण ना ही दलित
ये बंटवारा जाने कैसे हुआ
अपने किये की माफी मांगो
वरना तुम बहुत पछताओगे
जिस ईश्वर ने तुम्हे बनाया
उसी ने उन्हें भी बनाया है
इस नाते से एक पिता की
तुम सब संतान कहलाओगे
-डॉ मुकेश अग्रवाल