जिंदगी के मोड़ पे हमसे,
एक दिन जिंदगी टकरा गई,
हमे जिंदगी को अपनी,
अज तक की घटी दास्तान सुनाई…..
दास्ताँ सुनकर जिंदगी बोली,
उसने अपनी बरसो पुराणी गन्दी,
मैली, कुचैली, एक लाल पन्ने से लिपटी,
जिसके ऊपर जिंदगी लिखी था,
एक ऐसी किताब खोली……..
किताब देखकर हमे झटका लगा,
क्यों कि इस किताब के अंदर पहले से ही,
हमारे साथ घटित कारनामो कि पूरी कि पूरी,
जो हमे याद भी नहीं थी वो दास्ताँ मौजूद थीं……..
इतफाक से हमने कहा,
हमारे साथ अन्याय हुआ है,
हमने कुछ भी नहीं पाया,
जो पास में था,वो भी सिर्फ खोया है………
इस पर वो बोली………..
तुम बड़े देश भक्त बनते थे,
अपने आपको गरीबी का हम दरद समझते थे,
तुम लोगो को लिए जीने लगे,
स्वार्थ को छोड़ कर भले को पीने लगे……..
जिंदगी को यह बात पसंद नहीं आई,
इसीलिए उसने यह रुसवाई दिखाई,
तुम्हे नहीं मालूम था,
कि एक दिन तुम पछताओगे,
जितना साथ दे रहे हो……..
उन्ही के कारण मुसीबत में पड जाओगे,
अज वो दिन आ गया है,
और तुम्हे जिंदगी का सबक सिखा गया है………
जिंदगी बोली जितना रिश्वत खाओगे,
जितना किसी का दिल दुखाओगे,
अगर उतना ही भलाई के कामो के कामो में लगे रहो,
उतना ही सुख सुविधाए पाओगे,
दूसरो के लिए सोचते रहे,
तो निश्चय ही,मुश्किल में पड़कर,
जल्दी ही जिंदगी गवाओगे……..!!!