जिस_दोस्त_से_दूर_हुआ

जिन संग बचपन बीता

उन से ही आज दूर बढ़ा

समय ने जरा करवट ली

तेरे ऊपर नया रंग चढ़ा

पद पैसे के मद में गर

दोस्त दोस्ती भूल गया

लानत ऐसे दोस्त पर

जो दोस्ती से दूर गया

तुझे यहाँ तक लाने में

इनका साथ रहा होगा

सफर में कुछ दूर तक

इनका साया भी होगा

पद सारी उम्र ना रहेगा

ना मद ही रहेगा शेष

वापिस वो दिन आएगा

ना रहेगा जब तू विशेष

याद कर अहं ने डूबाया

था लंकापति रावण को

कंस इसके हत्थे चढ़ा

मरवाया था दुर्योधन को

दोस्ती निभाई कृष्ण ने

सिंहासन मित्र बिठाया

छोड़ कर सारी ठकुराई

सुदामा को गले लगाया

दोस्ती ही है ऐसा रिश्ता

जिसमे कोई स्वार्थ नही

अपनापन भरपूर छिपा

कोई और यथार्थ नही

अभी कुछ नही बिगड़ा

लौट वापिस  जा तू

जिस दोस्त से दूर हुआ

उसको गले लगा जा तू

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