जी चाहता है आज
जी भर कर ख़ुशी मनाऊ
थोडा चलूँ, थोडा रुकूँ
रह रह कर नाचूं गाऊँ
मन में उलास क्यों
समझ नहीं पाती हूँ
जी चाहता है आज
कली सी खिल जाऊं
उनकी याद आयी है
ढेरों उमंगें लाइ है
जी चाहता है आज
मैं भी दुल्हन बन जाऊं
करवा चौथ व्रत है
चहूँ और लाली छाई है
हर एक औरत पर
जगी नई तरुणाई है
जी चाहता है आज
इन के रंग में रंग जाऊं
थोडा चलूँ, थोडा रुकूं
रह रह कर नाचूं गाऊँ
जी चाहता है आज
जी भर कर ख़ुशी मनाऊ
