कोई करे बड़ाई या कोई दे गाली
ना आता गुस्सा ना चेहरे पे लाली
ईर्ष्या ना द्वेष इन्हें ना ही कोई मोह
ना चाहिये सम्मान ना कोई विद्रोह
द्वन्दों का सहना हो जाता आसान
कोई दुःख फिरसे ना करे परेशान
ना कोई दुर्भावना ना ही सदभाव
तितिक्षा सधने से जगता समभाव
शम दम छ साधनों में से ये है एक
मोक्ष पथ पर काम मे आता विवेक
डॉ मुकेश अग्रवाल