देख सखी री श्याम कैसे आव रे
मोरे दिल मे वो जगह बनाव रे
पहले तो फोड़े वो मोरी गगरिया
पाछे उसमें से माखन वो खाव रे
तंग मोहे करता बार बार नटखट
पनघट पे मोरे वो कपड़े चुराव रे
सुबह को खेले वो जमुना के तीरे
शाम तलक फिर गइया चराव रे
जब मन करता ग्वालों संग मस्ती
मन करे राधा संग रास वो रचाव रे
यशोदा को बहुत सताता सांवरिया
माँ को मुँह में विश्व रूप दिखाव रे
जब जब छेड़े तान बाँसुरिया की
बृज मा सब को अपना बनाव रे
जो भी देखे रूप उसका मोहक
सुध बुध खोव खुद को भुलाव रे
कैसा है जादूगर किशन कन्हैया
मोहिनी का अपनी जादू चलाव रे
भूल के कभी तू वृंदावन ना जइयो
श्याम की कसम वापस ना आव रे
देख सखी री श्याम कैसे आव रे
मोरे दिल मे वो जगह बनाव रे