श्रद्धेय Dinesh Kumar सर, आप के जन्मदिन पर हम सब की और से आपके श्रीचरणों में शुभकामनाये प्रेषित करती मेरी ये छोटी सी कविता…
“दिनकर”
गायित्री से हो कर पल्लवित
“रवि” सदृश अवभासित हुए
आर्षज्ञान के प्रचार प्रसार से
जग में आप विभूषित हुए।
हुआ जन्म आपका धरा पर
जागृत जीव बनाने को
“सृजन” के माध्यम से आप
जन जन में सुशोभित हुए।
अर्जुन के लिए कृष्ण आप है
एकलव्य के लिए द्रोणाचार्य
जीवनयुद्ध के योद्धा गढ़ने
भारतभू पर अवतरित हुए।
ये हम सब का परम सौभाग्य
कि आप का सानिध्य मिला
आप को गुरुरूप में पा कर
हम सब शिष्य पुलकित हुए।
आज आप के जन्मदिवस पर
हम सब की मंगलकामना है
युगों युगों तक बनी रहे कीर्ति
जैसे “दिनकर” आलोकित हुए।