“मित्रता दिवस” पर आप सब मित्रों को समर्पित अभी अभी रचित मेरी ये कविता… दोस्ती ना ही कोई छोट-बड़ाई ना इनमे कोई ऊँच-निचाई ना कोई भेद जात-पात का ये समता का रिश्ता भाई । ख़ुद ही बनाते हम ये रिश्ता ख़ुदा की इसमें ना कोई ख़ुदाई ना ये नाता ख़ून का देख़ो पर उससे ज़्यादा गहराई । इनकी सोहबत में ख़ुशी है केवल इनके संग में मस्ती छाईं कोई अपेक्षा नहीं यहाँ पर ना ही है कोई चतुराई । मन हल्का हो जाता है दुःख भी बन जाता सुखदाई सब कुछ खोने लगता है जब होती मित्रों से जुदाई ।।।