आज हर चेहरा खिला है
निर्भया को न्याय मिला है
फांसी पर जब झूले चारो
तब ही ये विश्वास मिला है|
कितना घिनोना ये अपराध
दरिंदो ने अंजाम दिया था
6 लोगो ने लूटी थी अस्मत
देश को शर्मसार किया था|
चीख चीख कर सारे सबूत
दरिंदगी की गवाही देते थे
डीएनए व फॉरेंसिक टेस्ट
गुनाह की कहानी कहते थे|
एक दोषी को इतनी ग्लानि
खुद अपना जीवन ले अड़ा
एक क़ानूनन नाबालिग था
तीन साल ही जेल में सड़ा|
बाकी दोषियों को इतना
रहम क्योंकर मिल गया
सात साल का लंबा समय
इंसाफ आने में लग गया|
फांसी रुकवाने में दोषियों
ने क्या नही इंतजाम किए
उनके पक्ष के वकील ने भी
क्या क्या नही बखान किए|
पर देर आये दुरुस्त आये
ये कहावत चरितार्थ हुई
जब चारो की आज सुबह
यमराज से मुलाक़ात हुई|
न्याय व्यवस्था लचर हमारी
अब इस मे भी सुधार हो
सात दिन में मिले इन्साफ़
ना सात साल इन्तजार हो