पुत्र एक पिता की पहचान होता है
वो उस की आन बान शान होता है
पिता देखता है पुत्र में अपना अक्स
पालता उसे उसका बागबान होता है
मेरा पुत्र करे सब जो मैं ना कर पाया
पिता के जीवन का अरमान होता है
मेरी वंश बेल को ले जाएगा ये आगे
इसी उम्मीद पर टिका जहान होता है
आयेगा जब बुढापा सेवा करेगा मेरी
मन बड़ा स्वार्थी बड़ा बेईमान होता है
अपने पुत्र के नाम से जाना जाऊ मैं
हर पिता को पुत्र पे ये गुमान होता है
-डॉ मुकेश अग्रवाल