मैंने भूल की है
या अनजाने में हुई है
इस बात का कोई अर्थ नहीं
भूल तो भूल है !!
किसी का भी मन नहीं मानेगा
कि अनजान क्षण भूल करवा सकता है
पर भूल तो हो चुकी है
अब प्रायश्चित बचता है !!
प्रायश्चित क्या हो
यह मैं तुम पर छोड़ता हूँ
जो भी होगा मुझे मंजूर होगा
शायद मेरा प्रायश्चित !!
मेरे मन की ग्लानी का
निवारण कर सके
और मैं सुखद आनंद
की अनुभूति कर सकूँ !!!