प्रेम करुणा दया से बढ़ कर
नही कोई जीवन का आधार
यदि आगमन हो जाये इनका
समझो खुला स्वर्ग का द्वार
मानव के मन की गुफा मे
जब अतिशय प्रेम उमड़ता है
तब हर वस्तु और व्यक्ति में
केवल ईश्वर ही दिखता है
मन वचन और कर्म में जब
करुणा ही करुणा छाती है
ख़ुद से पहले दूजे की चिंता
केवल बाकी रह जाती है
हृदय मे हर जीव के प्रति
जब दया का उफान आता है
तब समझो जीवन उद्देश्य
उच्चतम स्थान पा जाता है
हर एक मे दिखे परमात्मा
तब अह्म ब्रह्स्मि चरितार्थ हो
सब धर्मो का मर्म यही है
की प्राणीमात्र से प्यार हो