फिर कैसी बाधा है
जब हर सांस में मोहन
और धड़कन में राधा है
फिर कैसी बाधा है
जब विचार विशुद्ध है
और नेक हर इरादा है
फिर कैसी बाधा है
जब पानी दोगुना है
ओर भोजन आधा है
फिर कैसी बाधा है
जब अधिकार कम है
और कर्तव्य ज्यादा है
फिर कैसी बाधा है
जब समस्याएं तो है
और लड़ने का मादा है
फिर कैसी बाधा है
जब इच्छाएँ बहुत है
और मन केवल प्यादा है
फिर कैसी बाधा है
जब साधन अधिक है
पर जीवन निरा सादा है
फिर कैसी बाधा है
जब हर सांस में मोहन
और धड़कन में राधा है