जी ले जिंदगी क्या हो रहा तुझे
क्यों है तू रोता क्या कष्ट है तुझे
उम्र गुजरी बात समझ ना आई
जीवन मर्म जानना शेष है तुझे
क्यों दौड़ रहा कहाँ जाना तुझे
कँहा है मंजिल क्या पाना तुझे
रुक जा आ बैठ थोड़ा सुस्ता ले
क्या जल्दी है किसे मनाना तुझे
हिरण सा हरेक का जीवन यहाँ
कस्तूरी को भटकता यहां वहाँ
आनंद चाहिये तो इतना जानले
अपने ही अंदर उतरना है तुझे
हर मोड़ पर प्यास बढ़ जाएगी
सिर्फ मरीचिका नजर आएगी
वास्तव में पीने की गर इच्छा
पानी क्या अमृत मिलेगा तुझे
सर पे जितना बोझ कम होगा
सफर में उतना ही मजा होगा
क्यों जन्मों का सामान जोड़ा
बता अब कितना जीना है तुझे