पीले रंग से दुनिया पर
आज नई तरुणाई है ।
अँगड़ाई ले रही प्रकृति
बसंत पंचमी आई है ।।
पतझड़ रूपी रात गई
हरियाली की उषा हुई ।
मौसम ने भी करवट ली
शांत सौम्य सुबह हुई ।।
माँ सरस्वती जन्मी आज
विद्या संगीत उत्पन्न हुए ।
हर्षित है पुलकित है मन
सब के चेहरे खिले हुए ।।
कोयल की मधुर बोली से
मधुबन आज महक उठा ।
हर डाल डाल पे यौवन है
हर पत्ता पत्ता चहक उठा ।।
सरसों की बाली लहरा रही
मक्का भी देखो मुदित हुआ
खेत खलियान और बाग़ों में
जैसे नवजीवन उदित हुआ ।।
आओ मिलकर आज हम
स्वागत करे ऋतुराज़ का ।
बसंतोत्सव मनाएँ सभी
त्योहार ये उल्लास का ।।