पता पता बूटा बूटा ओर हर इक फ़ूल गुहार रहा
बगिया का हर कोना माली की बाट निहार रहा ।
कब आएगा पालनहारा कब हम से बतियाएगा
इस उम्मीद में हर कोई अपना समय गुजार रहा ।
आंख मेरी लगती नही साँस अब थमती नही
लॉरी सुनाने आ जाओ माँ मन मेरा पुकार रहा ।
तुम से ही लागी लगन मन तुममें ही अटका है
प्रेम है केवल तुम से ही तुम से मेरा संसार रहा ।
कब के गए हो हरजाई अब लौट के आ जाओ
मिलन की बेला न बीते यौवन ये धिक्कार रहा ।
तेरी भक्ति में जीवन बीता आस अभी भी बाकी है
आगे भी रहेगा मुझ को ज्यूँ अब तक इंतजार रहा ।।