वतनपरस्ती हमने की थी
वादे भी निभाए थे
हिन्दू मुस्लिम सब ने मिलकर
अपने कदम बढ़ाये थे
आजादी पाने को लाखो
वीरो ने जान गंवाई थी
तब कहीं जाकर हमने
दीवानी आजादी पाई थी
पर पता नहीं था होगा ये
अंजाम हमारे नारों का
हाल ये होगा मरने पर
आजादी के परवानो का
उनकी चिताओं पर ज्योति भी
नहीं जलाई जाएगी
ये हाल देख कर वीरो का
भारत माता शर्माएगी
होगी लड़ाई भाईओं में
धर्म मजहब के नाम पर
लड़ेगें हिन्दू मुस्लिम सब
छोटी छोटी बात पर
शर्म आनी चाहिए हम को
होना चाहिए धिक्कार है
स्वतंत्रता तो सही मायनो में
होगी तभी साकार है