बच्चो में संस्कारों की बाते हो
या फिर बूढों की उनींदी राते हो
या यौवन को दिशा दिखानी हो
या देनी कुर्बानी हो
याद करो तुम हम को
हम झटपट आ जायेगे
हम भारत विकास परिषद् है
अंधियारे को दूर भगायेगें
गर चल पड़ोगे साथ हमारे
हर घर स्वर्ग बन जागेगा
बड़ा बेटा राम बनेगा
पिता दशरथ बन जागेगा
लक्षमण जैसा भाई होगा
मजा बड़ा फिर आएगा
राम-राज्य बनने में फिर
कहाँ देरी रह जाएगी
जब हर घर के आँगन में
एक सीता देखी जाएगी
ये सपना पूरा करने में
हम मिल कर दीप जलायेगें
हम भारत विकास परिषद् है
अंधियारे को दूर भगायेगें