महाराणा प्रताप

भारत की पावन धरती पर
महाराणा सा महावीर हुआ
राजपूताना की शान उससे
मेवाड़ की वो शमशीर हुआ

उदयसिंह जयवंता के घर
जन्मा कुम्भलगढ़ किले में
सिसोदिया वंश का लाल
प्रताप नाम से मशहूर हुआ

घुटने टेक मुगलो के आगे
हर राजा नतमस्तक हुआ
प्रताप ने लोहा लिया उनसे
हौसला मुगलोका पस्त हुआ

अकबर ने भेजे चार दूत
मेवाड़ अधीनता स्वीकारे
मजाल की मेवाड़ का शेर
कभी भी टस से मस हुआ

हल्दी घाटी में लड़ा वीर
पांच सौ लड़ाकों को ले
अस्सी हजार संग मुगल
सोचने पर मजबूर हुआ

चेतक की स्वामिभक्ति और
रणबांकुरों का शौर्य देखा
हल्दीघाटी युद्ध का मंजर
इतिहास में मशहूर हुआ

उदयपुर समेत सारा मेवाड़
वापिस लिया फिर मुगलो से
मात्रा सत्तावन वर्ष में प्रताप
इस दुनिया से विदा हुआ

जिस की मृत्यु पर रोया शत्रु
कैसा था वो महावीर हुआ
कल्पना करो उस दृश्य की
जब अकबर भी मौन हुआ

भारत की पावन धरती पर
महाराणा सा महावीर हुआ
राजपूताना की शान उससे
मेवाड़ की वो शमशीर हुआ

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