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शब्द कहाँ से लाऊँ
जो तेरा बखान करे
जीभ अभी बनी नहीं
जो तेरा गुणगान करे
तेरी महिमा कहने में
समर्थ नहीं है कोई
शास्त्र कभी छपा नहीं
माँ जो तेरा गान करे
तू ईश्वर की रचना ऐसी
जिस में सिर्फ़ समर्पण है
अपना तुझ पे जो भी है
सब बच्चों पे अर्पण है
हर माँग बच्चों की ख़ातिर
हर सपना बच्चों को लेकर
तेरी प्यारी सूरत लगता है
ख़ुद ईश्वर दर्पण में है
मैं अपने पर इठलाऊँ
जो माँ तू मेरे पास है
तेरे होने का मतलब
ईश्वर का अहसास है
तेरी छत्रछाया में मेरा
ये जीवन पलता रहे
माँ से ही है उजियारा
मेरा इतना विश्वास है ।।