मित्र ना देखे छोटा बड़ा
जात पात ना आड़े आई
केवल ये ही रिश्ता ऐसा
जो देखे दूजे की भलाई ।
ना ही ख़ून का रिश्ता है
ना ही कोई गोत्र है भाई
फिर भी देखो यूँ मिलते
जैसे कर रहे हो मिलाई ।
ना दूजे से कोई अपेक्षा
ना ही देता स्वार्थ दिखाई
ना माँगे धन ना माँगे तन
प्रेम की बस ज़ौत जगाई ।
गर्मी ना सर्दी की चिंता
हर मौसम में है पुरबाई
दोस्त मिले तो यूँ लगता
जैसे मिल गई हो खुदाई ।
कृष्ण दामा की दोस्ती
देता है हर कोई दुहाई
यारी करो तो ऐसी करो
हर और गूँज दे सुनाई ।।