मौन स्वीकृति

मौन स्वीकृति

उस की आँखों में नज़र आती है मुझे – मौन स्वीकृति
परमेश्वर की बनाई वो – सुंदर कृति

चेहरे की आबो-हवा जब चलती है
खुशबू उसके बालों की जब महकती है
समस्त वातावरण को सुगन्धित कर देती है
सृष्टि में एक इन्द्रधनुषीय रंग भर देती है
और जब वो मेरे चेहरे से टकराती है
तो उस में मुझे नज़र आती है
फिर वही – मौन स्वीकृति
फिर वही – सुंदर कृति

होठों की लाली जब खिलती है
कानो की बाली जब हिलती है
फैला देती है सितार की झंकार
जैसे शब्दों का हो सुंदर आकार
फिर उसके बिना कुछ कहे ही
दे देती है उसकी स्वीकृति
फिर वही – मौन स्वीकृति
फिर वही – सुंदर कृति

कोकिला सी मधुर आवाज जब फूटती है
तो सारे परिवेश की शांति को लूटती है
एक असीम सा रस भर देती है
सब को मदहोश कर देती है
तो उसकी आवाज का यही संगीत
दे देता है उसकी स्वीकृति
फिर वही – मौन स्वीकृति
फिर वही – सुंदर कृति

उसका आँचल जब लहराता है
आसमां पर बादल छा जाता है
रिमझिम वर्षा की बुँदे लाती है
एक मधुर सन्देश
मैं इस सन्देश का अर्थ लगाता हूँ
जिस का रूप है – वही स्वीकृति
फिर वही – मौन स्वीकृति
फिर वही – सुंदर कृति

इस तरह हर अंग से ,हर ढंग से
मुझे मिलता है यही एहसास
जिसे मैं उसकी स्वीकृति समझता हूँ
शायद इसी के कारण पनपता हूँ
शायद यही है उसकी मौन स्वीकृति
यही है उसकी सुंदर आकृति ……..

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *