कूटनीतियाँ तो हजारो है
पर कामयाब कोन सी होगी
ये कहना मुश्किल है
लक्ष्य की प्राप्ति हेतु
तिरंगा सब ने लहराया है
पर किस का रंग गहरा है
ये कहना मुश्किल है
निराधारो की पंक्तियाँ
बड़ी लम्बी लम्बी है
पर इन का आधार कोन सा है
ये कहना मुश्किल है
आकांक्षाओं का बोझ ढोती
ये पूरी संस्कृति ही है
पर कोन सा अध्याय सुदृढ़ है
ये कहना मुश्किल है
अराजकताओं का दामन पकडे
राजनीति दोड रही है
टकराएगी यह किससे
ये कहना मुश्किल है