लॉकडाउन और घरेलू हिंसा

लॉकडाउन समय आप महाशय कैसे बिता रहे

दूरियां नजदीकियां बनी या दूर दूर होते जा रहे

 

दोगुनी देश मे शिकायतें घरेलूहिंसा की इन दिनों

लड़ रहे पति व पत्नी बच्चो की शामत बना रहे

 

लड़ाई झगड़े मारपीट से तुम्हे क्या मिल जाएगा

क्यों नही आपस मे मिल प्रेम का जहाँ बसा रहे

 

इकट्ठा रहने की आदत हम लोगो को नही रही

बर्तन होंगे खड़केंगे कहावत चरितार्थ बना रहे

 

पास रहने का मौका ईश्वर ने हम को बख्शा है

क्यों नही इस का आज भरपूर लाभ उठा रहे

 

आओ एक दूजे को समझे और नजरिया बदले

सम्मान करेगें दूजे का तो ही पाने के हकदार रहें

 

लॉकडाउन रूपी दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदले

संबंधों में आई तल्ख़ी को क्यों नही हो मिटा रहे

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