चलो आज हमसब मिलकर शिक्षक दिवस मनाएँ
प्रतिभाओं को गढ़ने वालों को अपना शीश नवाएँ
करे सम्मान उन सब का और ख़ुद का गौरव बढ़ाएँ
याद करें व्यक्तित्व उनका और कर्मों पे फ़ूल चढ़ाएँ ।
शिक्षक बनाते नीव हमारी मज़बूत भवन बन जाएँ
कितनी आएँ मुसीबतें जीवन में हम ना फिर घबराएँ
रहे अग्रसर कर्मपथ पर क़दम ना हमारे डगमगाएँ
लक्ष्य लिया जो जीवन का पूरा कर उसे दिखलाएँ ।
पहली गुरु माता फिर पिता फिर बाक़ी सब कहलाएँ
प्रकृति से हम सीखें देना निरन्तर सब कुछ देती जाएँ
बच्चे से हम सीखें हँसना कोई स्वार्थ नज़र ना आएँ
जिससे भी हम सीख सके वो सब शिक्षक कहलाएँ ।
ग़लत सही का फ़र्क़ हम जाने निरन्तर बढ़ते जाएँ
झूठ ने ना फिर करे समझोता सच से ना डर जाएँ
नीति अनीति के ज्ञान से आदर्श विधार्थी कहलाएँ
अपने शिक्षक का नाम हम जग में रोशन कर जाएँ |