सत्यम

अठारह साल पहले आजसे इस दुनिया मे आया
सत्यम नाम रखा इसका एक नया उजाला लाया

घरमे लाडला सबका ख़ूब शरारत ये करता था
पूरे मोहल्ले की जान था सबसे मस्ती करता था

कुत्ते के मुँहमे हाथ डालना सीढ़ियों से गिर जाना
छोटी छोटी चोटें खा कर रोना नही बस मुस्काना

जन्माष्टमी पर एक बार बालरूप कृष्ण का धरा
यूँ लगा जैसे धरा पर साक्षात माखनचोर उतरा

सुबह सवेरे रोज दादा संग ये मंदिर को जाता था
छत पर बैठे पक्षियों को दाना पानी खिलाता था

बड़ी बहन इसकी अवनि एक साल इस से बड़ी
प्ले स्कूल आरती जहाँ इनकी आधारशिला बनी

जब स्टेज पर भाई बहन अपना हुनर दिखाते थे
इनके भोलेपन पर सब लोग मोहित हो जाते थे

पहली से बाहरवीं कक्षा तक ये डीपीसी में पढ़े
पढ़ाई में दोनों अव्वल साथ साथ खेले और बढ़े

नॉन मेडिकल से सत्यम ने स्कूल कोपूरा किया
डीएवी चंडीगढ़ में बीसीए में फिर दाखिला लिया

आज्ञाकारी संस्कारी दया करुणा कूट कूट भरी
इनके साथ सत्यम में प्रतिभा की नही है कमी

यही प्रार्थना ईश्वर से मार्ग उस का प्रशस्त करें
दीर्घायु हो यशश्वी हो एक अच्छा इंसान बने

-डॉ मुकेश अग्रवाल

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