अनन्य भक्ति यदि सीखनी
शरण हनुमान की जाते है
श्रद्धा भाव से नमन कर
उनकी जयंती मनाते है|
गदा हाथ मे धारण किये
सिंदूर बदन पर लगाते है
राम नाम ही जीवन इनका
ये रामभक्त कहलाते है|
भूख लगने पर आकाश में
सूरज को पकड़ने जाते है
वायु सा वेग पाया इन्होंने
ये मारुति कहलाते है|
कोई कहता बजरंगी इनको
कहीं पवनपुत्र कहलाते है
अंजनी है इन की जननी
ये केसरीनंदन कहलाते है|
सीता माँ का पता लगा
सबके प्रिय बन जाते है
रावण की लंका जला के
ये रामदूत कहलाते है|
हिमालय से संजीवनी ला
लक्ष्मण के प्राण बचाते है
बुद्धि बल और भक्ति की
ये त्रिवेणी कहलाते है|
श्रीराम के सब कामो को
पल में सिद्ध कर जाते है
संकट हरते है सभी के
ये संकटमोचक कहलाते है|
अनन्य भक्ति यदि सीखनी
शरण हनुमान की जाते है
श्रद्धा भाव से नमन कर
उनकी जयंती मनाते है|