“हरियाली तीज” हर बार
श्रावण के महीने में आती है
ये उत्तर और मध्य भारत मे
बड़े चाव से मनाई जाता है
जब सावन के बादल बरसे
धरती भी प्यास बुझाती है
और मेघो को बाहों में भर
मिट्टी भी तड़प मिटाती है
महिलाएं है सजती सँवरती
मेहंदी हाथों पर लगाती है
शिव पार्वती का पुनर्मिलन
मिलकर गीत प्रेम के गाती है
बागों में झूलों को झूलती
ख़ूब ऊंची पींग चढ़ाती है
प्रकति देखो कितनी मगन
वो भी ख़ूब खिलखिलाती है
मोरों को पंख लग जाए
कोयल भी मस्ती में गाती है
सावन का मौसम ही ऐसा
हर जीव पे खुमारी छाती है
मानसून के आ आने से
चहुँऔर हरियाली छाती है
इसी कारण से ये तीज
हरियाली तीज कहलाती है