प्रकृति की अद्भुत छठा है
क्या सुन्दर नज़ारा है।
ऊपर नीला आसमां है
नीचे पर्वतो का पहरा है।।
दूधिया बर्फ की चादर से
ढका हुआ हिमालय है।
छिपा है सन्देश गहरा
करता एक इशारा है।।
इंद्रधनुष भी बना हुआ है
सप्तरंगी नज़ारा है।
बादल उड़ रहे मस्ती में
झूमे मंजर सारा है।।
कतारो में पेड़ चिनार के
कुछ यूँ लहरा रहे।
जैसे किसी चित्रकार ने
कूची से चित्र उकारा है।।
कहीँ पानी के झरने है
कहीँ बरसाती नाले निकल रहे।
संगीत के बिना जीवन में
सूनापन है अँधियारा है।।
सूरज खेले आँख मिचौली
कभी दिखे कभी छुप जाये।
कुदरत की लीला से अचंभित
हुआ संसार ये सारा है।।